Jawaharlal Nehru Biography in Hindi: जैसा कि आपको पता होगा की चिल्ड्रन डे चाचा नेहरू का दिन है , जिन्हे बच्चो से बहुत लगाव था , इसी लगाव के वजह से नेहरू जी के जन्मदिन को भारत में बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
तो आज के इस आर्टिकल ” Jawaharlal Nehru Biography in Hindi ” में हम पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के जीवन की सारी जानकारी आपको देंगे। तो आइए जानते है , नेहरू जी के इस जन्मदिन के शुभ अवसर पर उनकी कहानी ।
किसी राष्ट्र को ऐसा सौभाग्य बार-बार नहीं मिलता कि उसका नेतृत्व एक ऐसे ओजस्वी व्यक्तित्व के हाथ में हो जिसमें स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, राजनेता, दार्शनिक, सर्व हितैषी और एक राष्ट्र निर्माता के सभी गुण मौजूद हों। आधुनिक भारत के निर्माता तथा बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी पंडित थे । जिन्होंने देश की सफलता को एक नया नाम दिया ।
जवाहरलाल नेहरू जी के बारे में पूरी जानकारी
पंडित जवाहरलाल नेहरू जिन्हे प्यार से बच्चे “चाचा नेहरू” कहकर बुलाते थे, वे देश के महान स्वतंत्रता सेनानी तथा आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे । चाचा नेहरू को बच्चो से बहुत लगाव था और वे उनकी शक्तियों में विश्वास रखते थे । उन्होंने यह भी कहा है की भारत का भविष्य बच्चो के हाथों में है ।
भारत स्वतंत्रता के पूर्व और पश्चात् भारतीय राजनीति में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे आधुनिक भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक थे । नेहरू ने अपना जीवन राष्ट्र के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया।
वास्तविक नाम | पंडित जवाहरलाल नेहरू |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, राजनेता, दार्शनिक, |
जन्म की तारीख | 14 नवंबर,1889 |
मृत्यु | 27 मई, 1964 |
जन्मस्थल | इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | हिंदू |
पत्नी | कमला नेहरु |
बच्चे | बेटी – इंदिरा गाँधी |
जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म और उनका प्रारंभिक जीवन
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद के आनन्द भवन में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू शहर के एक नामी वकील थे। जवाहर लाल नेहरू की माता स्वरूप रानी ने उन्हें भारतीय संस्कृति और परम्परा के मूल्यों का पाठ पढ़ाया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई थी जबकि पंडित नेहरू ने दुनिया के मशहूर स्कूलों और यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की थी। 15 साल की उम्र में 1905 में नेहरू जी को इंग्लैंड के हैरो स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा गया।
2 साल तक हैरो में रहने के बाद जवाहर लाल नेहरू ने लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज से लॉ में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होनें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र की पढ़ाई पूरी की। कैम्ब्रिज छोड़ने के बाद लंदन के इनर टेंपल में 2 साल पूरा करने के बाद उन्होंने वकालत की पढ़ाई पूरी की। आपको बता दें कि 7 साल में इंग्लैण्ड में रहकर इन्होनें फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी भी हासिल की। वहीं 1912 में वे भारत लौटे और वकालत शुरु की।
जवाहरलाल नेहरू जी का पॉलिटिकल करियर
- उन्होंने 1912 में एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर कांग्रेस में भाग लिया।
- 1919 में वे होम रूल लीग, इलाहाबाद के सचिव बने ।
- 1916 में, वह पहली बार महात्मा गांधी से मिले, और उनसे बेहद प्रेरित हुए।
- 1920 में उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया।
- असहयोग आंदोलन (1920-22) के कारण दो बार जेल गए।
- सितंबर 1923 में वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
- 1926 में उन्होंने इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी और रूस का दौरा किया।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में, उन्होंने बेल्जियम में ब्रुसेल्स में उत्पीड़ित राष्ट्रीयताओं की कांग्रेस में भाग लिया था
- 1927 में, उन्होंने मास्को में अक्टूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया
- 1928 में साइमन कमीशन के दौरान लखनऊ में उन पर लाठीचार्ज किया गया था ।
- उन्होंने 29 अगस्त 1928 को ऑल पार्टी कांग्रेस में भाग लिया और भारतीय संवैधानिक सुधार पर नेहरू रिपोर्ट के हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक थे, जिसका नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था।
- 1928 में उन्होंने ‘इंडिपेंडेंस फॉर इंडिया लीग’ की स्थापना की और इसके महासचिव बने ।
- वे 1929 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए थे। इसी अधिवेशन में ही देश की स्वतंत्रता के लिए पूर्ण लक्ष्य को अपनाया गया था।
- 1930-35 के दौरान, नमक सत्याग्रह और कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए अन्य आंदोलनों से संबंध होने के कारण, उन्हें कई बार कैद किया गया था।
- 14 फरवरी 1935 को उन्होंने अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ पूरी की थी।
- जेल से छूटने के बाद वह अपनी बीमार पत्नी को देखने स्विट्जरलैंड गए थे।
- युद्ध में भारत की जबरन भागीदारी के विरोध में 31 अक्टूबर, 1940 को एक व्यक्तिगत सत्याग्रह की पेशकश करने के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया था।
- दिसंबर 1941 में उन्हें जेल से रिहा किया गया
- 7 अगस्त 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में पं. जवाहरलाल नेहरू ने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पेश किया।
- 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किले में ले जाया गया। यह उनकी सबसे लंबी और आखिरी नजरबंदी थी।
- उन्हें जनवरी 1945 में जेल से रिहा किया गया और राजद्रोह के आरोप में INA के अधिकारियों और पुरुषों के लिए कानूनी बचाव का आयोजन किया गया।
- जुलाई, 1946 में, चौथी बार वे कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए और फिर 1951 से 1954 तक तीन और कार्यकालों के लिए चुने गए।
- इस तरह वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। वह पहले प्रधान मंत्री थे जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया और लाल किला (लाल किला) की प्राचीर से अपना प्रतिष्ठित भाषण “ट्रिस्ट विद डेस्टिनी” दिया।
- भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल, नेहरू जी से ज्यादा मत प्राप्त हुए थे देश की जनता सरदार वल्लभ भाई को प्रधानमंत्री बनाना चाहती थी लेकिन महात्मा गाँधी ने चालाकी से नेहरू जी को प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठा दिया था।
जवाहरलाल नेहरू जी की घरेलू नीति
भारतीय इतिहास में जवाहर लाल नेहरू के महत्व को इस बात से ही समझा सकता हैं, उन्होंने आधुनिक विचारों और वेल्यूज को महत्व दिया था, उन्होंने सेक्ल्युरेजिम के साथ ही भारत में एकता के महत्व को भी समझाया, यहाँ की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को ताकत बनाया ।
भारत को विज्ञान और टेक्नोलॉजी की खोज की दुनिया में आगे बढाया, उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर भी ध्यान दिया. और ये सब ही उनकी घरेलू नीतियों के आवश्यक घटक थे। उन्होंने सबसे पुराने हिन्दू सिविल कोड में भी सुधार किया, जिससे हिन्दू महिलाओं को हिन्दू पुरुषों के समान ही प्रॉपर्टि में अधिकार मिल गए, नेहरू ने जातिवाद को दूर करने के लिए भी लॉ में परिवर्तन किए ।
नेहरू ने भारत में कई बड़े इंस्टीट्यूट जैसे ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस, दी इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी आदि की स्थापना के साथ ही भारत में प्राइमरी स्तर तक बच्चो की शिक्षा की अनिवार्यता पर भी ध्यान दिया ।
जवाहरलाल नेहरू जी की नेशनल सिक्योरिटी एंड विदेश नीति
नेहरूजी के नेतृत्व के दिनों में कश्मीर एक बहुत बड़ी समस्या थी, जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ही अपना-अपना दावा करते थे और इस मुद्दे को सुलझाने में उनके प्रयास ज्यादा सफल नहीं हो रहे थे। 1948 में पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जे की असफल कोशिश भी की थी।
1940 में ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यूनाइटेड स्टेट और यू.एस.एस.आर ने शीत युद्ध के दौरान भारत से मैत्री की कोशिशें शुरू कर दी थी। लेकिन नेहरूजी के प्रयासों भारत ने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई। जिसके अंतर्गत भारत किसी भी देश या संघ का पक्ष नहीं लेता था ।
नेहरू, सुकर्णो, नासर और टीटो गैर-गठबंधन (उदासीन) राष्ट्र आंदोलन में प्रमुख नेता थे, जिन्होंने विश्व में एक तीसरा पक्ष स्थापित करने का प्रयास किया, इस पक्ष ने विभिन्न देशों में गर्व, एकता और ताकत की भावना विकसित करने की कोशिश की। चीन के पहले परमाणु परीक्षण के बाद भारत में भी परमाणु शक्ति बनाने के लिए परमाणु कार्यक्रम को लॉन्च करने का फैसला किया ।
नेहरू ने उस समय नए स्वतंत्र हुए एशियन और अफ्रीकन देशों के बीच भारत का नैतिक नेतृत्व किया और शीत युद्ध के माहौल में जब दुनिया के विभिन्न देशों का ध्रुवीकरण हो चूका था और परमाणु हथियारों के उपयोग की धमकी दी जा रही थी। तब उन्होंने राष्ट्रवाद, एंटीकॉलोनीलिज्म (anticolonialism) अंतर्राष्ट्रीयवाद और गुटनिरपेक्षता की वकालत की।
वैसे तो उन्होंने अपने कार्यकाल के पहले दशक में ही काफी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा प्राप्त कर ली थी। लेकिन 1956 में सोवियत के हंगरी पर हमला करने के बाद जब नई दिल्ली का झुकाव मास्को की तरफ हुआ तो पशिमी देशों ने उनकी आलोचना की। इसके अलावा पाकिस्तान से निपटने में भी नेहरू एक सतत नीति तैयार करने में नाकाम रहे ।
जवाहरलाल नेहरू जी की आर्थिक नीति
नेहरू के 1951 में शुरू किए गये “पंचवर्षीय योजना” को उनकी सबसे अच्छी आर्थिक नीति माना जा सकता हैं. इसे सरकार द्वारा कृषि, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में किये गये खर्चे को निर्धारित करने के लिए बनाया गया था । वो ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के मध्य आर्थिक नीतियों के अंतर को कम करना चाहते थे, उनका मानना था कि दोनों का ही विकास आवश्यक हैं।
उन्होंने हाइड्रो इलेक्ट्रिसिटी पर जोर दिया, और बहुत से बाँध बनवाये, वो इन बांधों को भारत के विकास का प्रतीक मानते थे, क्योंकि ये बाँध ही इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग और एग्रीकल्चर के लिए आवश्यक प्लेटफ़ॉर्म थे ।
जवाहरलाल नेहरू को मिले हुए अवार्ड्स
- जवाहर लाल नेहरू ने भारतवासियों के मन में जातिवाद का भाव मिटाने और निर्धनों की सहायता करने के लिए जागरूकता पैदा की इसके साथ ही उन्होनें लोगों में लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान पैदा करने का काम भी किया। इसके अलावा उन्होनें संपत्ति के मामले में विधवाओं को पुरुषों के बराबर हक दिलवाने समेत कई अनेक काम किए।
- इसके अलावा भी नेहरू जी का पश्चिम बर्लिन, ऑस्ट्रिया और लाओस के जैसे कई अन्य विस्फोटक मुद्दों के समाधान में समेत कई समझौते और युद्ध में महत्वपूर्ण योगदान रहा। जिसके लिए उन्हें 1955 में सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
जवाहरलाल नेहरू लेखक के रूप में
पंडित जवाहर लाल नेहरू की एक अच्छे राजनेता और प्रभावशाली वक्ता ही नहीं बल्कि वे अच्छे लेखक भी थे। उनकी कलम से लिखा हुआ हर एक शब्द सामने वाले पर गहरा असर डालता था। इसके साथ ही लोग उनकी किताबें पढ़ने के लिए काफी उत्साहित रहते थे। उनकी आत्मकथा 1936 में प्रकाशित की गई थी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की क़िताबे –
- भारत और विश्व
- सोवियत रूस
- विश्व इतिहास की एक झलक
- भारत की एकता और स्वतंत्रता
- दुनिया के इतिहास का ओझरता दर्शन (1939)
जवाहरलाल नेहरू जी का योगदान और संघर्ष
- नेहरू जी शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चा को संगठित करने में उनका बहुत बड़ा योगदान था। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए ।
- 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार हुए। उन्होंने 6 महीनों तक जेल काटी |
- जवाहरलाल नेहरू 6 बार कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर लाहौर 1929, 1936 में लखनऊ, फैजपुर 1937, 1951 में दिल्ली, हैदराबाद 1953 और कल्याणी 1954 को सुशोभित किया।
- 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में नेहरू जी 9 अगस्त 1942 को मुंबई में गिरफ्तार हुए और अहमदनगर जेल में रहे। वहां से 15 जून 1945 को उन्हें रिहा कर दिया गया।
- 1947 में भारत की आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान शुरू हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सबसे अधिक वोट मिले थे। लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।
जवाहरलाल नेहरू के नाम पर धरोहर
नेहरूजी के नाम पर देश में बहुत सी जग, संस्थाए, यूनिवर्सिटी, हॉस्पिटल, मार्ग, चौराहें हैं। जैसे दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, मुंबई में जवाहारलाल नेहरू पोर्ट, उनकी याद में नई दिल्ली में एक म्यूजियम नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी भी बनाई गयी हैं। जो कि सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ कल्चर के अधीन हैं । उनकी लिखी किताब पर उनके नाम का एक शो भी बनाया जिसमें भारत के वैदिक काल से लेकर स्वतंत्रता तक के सफर को दिखाया गया। इस कार्यक्रम का नाम “भारत एक खोज” था ।
जवाहरलाल नेहरू जी की मृत्यु
पंडित जवाहर लाल नेहरू का चीन के साथ संघर्ष के थोड़े वक्त बाद भी स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। इसके बाद उन्हें 27 मई 1964 में दिल का दौरा पड़ा और वे इस दुनिया से हमेशा के लिए चल बसे। पंडित जवाहर लाल नेहरू अपना प्यार बच्चों पर ही नहीं लुटाते थे बल्कि वे अपने देश के लिए भी समर्पित थे। इसीलिए इस दिन को चिल्ड्रेन डे के रूप में मनाया जाने लगा ।
जवाहर लाल नेहरू राजनीति का वो चमकता सितारा थे जिनके ईर्द-गिर्द भारतीय राजनीति का पूरा सिलसिला घूमता है। उन्होनें भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बनकर भारत देश को गौरन्वित किया है इसके साथ ही उन्होनें भारत की मजबूत नींव का निर्माण किया और शांति एवं संगठन के लिए गुट निरपेक्ष आंदोलन की रचना की स्वाधीनता संग्राम के योद्धा के रूप में वह यशस्वी थे और आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उनका योगदान अभूतपूर्व था।
जवाहरलाल नेहरू जी से जुड़े इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
- जब वह जनवरी 1934 से फरवरी 1935 तक जेल में थे तब उन्होंने अपनी आत्मकथा लिखी जिसका नाम ‘टूवार्ड फ्रीडम’ है। इसे 1936 में अमेरिका में प्रकाशित किया गया था।
- नेहरू जी ने पश्चिम के विरोध के तौर पर पश्चिमी कपडे पहनना बंद कर दिया। इसकी जगह वह भारत में बनाई जाने वाली जो जैकेट पहनते थे, उसका नाम नेहरू जैकेट पड़ गया|
- 1950 से 1955 तक कई बार वह नोबेल प्राइज के लिए भी नामित हुए। कुल 11 बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा उनको नामित किया गया।
- वह एक सामान्य व्यक्ति थे। उनके नाम में जो पंडित जुड़ा है, वह इसलिए नहीं कि वह विद्वान थे। दरअसल उनका संबंध कश्मीरी पंडित से था। इसलिए उनके नाम में पंडित लगता है।
- उन्होंने भारत और विश्व पर दो किताबें लिखीं Discovery of India और Glimpses of the World दोनों किताबों से भारत के साथ-साथ दुनिया के बारे में उनकी काफी जानकारी का पता चलता है। Glimpses of World History वाकई में 146 पन्नों का संग्रह है जो उन्होंने अपनी एकमात्र बेटी इंदिरा गांधी को लिखा था।
- 26 साल की उम्र में नेहरू का विवाह 16 साल की कश्मीर ब्राह्मण बालिका से हो गया जिनका नाम कमला कौल था। उनके पिता पुरानी दिल्ली में एक प्रतिष्ठित व्यापारी थी। उनका विवाह 7 फरवरी, 1916 को हुआ था। 28 फरवरी, 1936 को तपेदिक की बीमारी से उनकी पत्नी का निधन स्विट्जरलैंड में हो गया।
- चार बार पंडित नेहरू की हत्या का प्रयास किया गया था। पहली बार 1947 में विभाजन के दौरान, दूसरी बार 1955 में एक रिक्शा चालक ने तीसरी बार 1956 और चौथी बार 1961 में मुंबई में 27 मई, 1964 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया।
- उन्हें भारत और उनके लोगों से बहुत प्यार था। उन्हें बच्चों से असीम प्यार था। इसीलिए लोग नेहरू जी के जन्मदिन (14 नवम्बर) को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। पंडित जवाहर लाल नेहरू जी की समाधी शांति वन में बनी हुई है जो यमुना तट पर स्थित है। नेतागण और आम नागरिक शांति वन आकर नेहरू जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं और नेहरू जी की आत्मा की शांति की दुआ करते है
जवाहरलाल नेहरू जी के विचार
- नागरिकता देश की सेवा में निहित है।
- संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
- असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।
- दूसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।
- लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयम में लक्ष्य नहीं ।
- लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।
Jawaharlal Nehru Biography in Hindi – FAQ’s
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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म कहाँ हुआ था?
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को ब्रिटिश भारत के इलाहाबाद में हुआ था ।
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क्या जवाहरलाल नेहरू मुस्लिम थे?
जवाहरलाल नेहरू मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू थे।
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जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री का नाम क्या था?
जवाहरलाल नेहरू की इकलौती पुत्री का नाम इंद्रा गांधी था।
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जवाहरलाल नेहरू के असली पिता कौन थे?
जवाहरलाल नेहरू के असली पिता मोतीलाल नेहरू थे।
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निष्कर्ष
Jawaharlal Nehru Biography in Hindi में बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू के जीवन के बारे में जानकर आप को कैसा लगा, हमे comment में जरुर बताइएगा। ये आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे दोस्तों के साथ शेयर कीजिए।
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