महान संत मदर टेरेसा का जीवन परिचय व अनमोल वचन |  Mother Teresa Biography in Hindi

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Mother Teresa Biography in Hindi: महान संत मदर टेरेसा को  कौन नहीं जानता हैं। अपने चमत्कारों और सिद्धियों से उन्होंने जो कर दिखाया। उसकी सराहना देश ही नहीं विदेशों में भी होती है। जो दूसरों के कल्याण के बारे में सोचता है, उनकी दुनिया में अलग ही पहचान बनती है। दूसरों के लिए सोचने और कुछ करने वालो में मदर टेरेसा का नाम शामिल है। अपना जीवन दूसरों के नाम कर देना ही उनकी असली कमाई थी। 

दया, निस्वार्थ भाव, प्रेम की मूर्ति मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा में न्योछावर कर दिया। मदर टेरेसा के अंदर अपार प्रेम था, जो किसी इंसान विशेष के लिए नहीं, बल्कि हर उस इंसान के लिए था, जो गरीब, लाचार, बीमार, जीवन में अकेला था। आज हम आपको इस लेख “Mother Teresa Biography in Hindi”के माध्यम से उनके पूरे जीवन के बारे में जानकारी देंगे

मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन

महान संत मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 में मैसेडोनिया गणराज्य की राजधानी स्कोप्जे में हुआ था। इनके बचपन का नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। जब वह सिर्फ 8 साल की थीं, तभी उनके पिता की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उनका लालन-पालन उनकी मां ने किया। 

उन्होंने अपने प्रारंभिक जीवन का बड़ा हिस्सा चर्च में बिताया। लेकिन शुरुआत में उन्होंने नन बनने के बारे में नहीं सोचा था। डबलिन में अपना काम ख़त्म करने के बाद मदर टेरेसा भारत के कोलकाता आ गईं। उन्हें टेरेसा का नया नाम मिला। 

Mother Teresa Biography in Hindi

उनकी मातृ प्रवृत्ति के कारण उनका प्रिय नाम मदर टेरेसा पड़ा, जिससे पूरी दुनिया उन्हें जानती है। जब वह कोलकाता में थीं, तब वह एक स्कूल में शिक्षिका हुआ करती थीं। यहीं से उनके जीवन में बड़े बदलाव आए और अंततः उन्हें “हमारे समय की संत” की उपाधि से सम्मानित किया गया।

Mother Teresa Biography in Hindi

पूरा नामअगनेस गोंझा बोयाजिजू (Agnes Gonxha Bojaxhiu)
जन्म29 अगस्त 1910
जन्म स्थानस्कॉप्जे शहर, मेसोडोनिया
मातानिकोला बोजाक्सीहू
पिताड्रैनफाइल बोजाक्सीहु
भाई-बहन1 भाई, 1 बहन
धर्मकैथलिक
कार्यमिशनरी ऑफ चैरिटी की स्थापना
मृत्यु5 सितंबर 1997
पेशासमाज सेवा 

मदर टेरेसा की शिक्षा (Mother Teresa’s Education)

मदर टेरेसा की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा एक प्राइवेट कैथोलिक स्कूल से अल्बानिया भाषा में पूरी हुई थी। आगे की शिक्षा पूरी करने के लिए उन्होंने सरकारी स्कूल की शरण ली थी। मदर टेरेसा को म्यूजिक प्ले करना और गाने का बहुत ज्यादा शौक था। जब वह 18 साल की हुई तो उस उम्र में उन्होंने सिस्टर ऑफ लैराटो में शामिल होने का फैसला किया। फिर वह आयरलैंड गईं और वहां अंग्रेजी भाषा सीखी। इसके साथ वे एक कैथोलिक चर्च से भी जुड़ी हुईं थीं। 

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मदर टेरेसा ने कैथोलिक मिशनरियों की कहानियों को सुना और मानवता की सेवा में जुट गईं । उन्होंने सेवा के लिए कई यात्राएं की और 1928  में कैथोलिक संस्थान में शामिल होने के बाद आयरलैंड की राजधानी डबलिन में उन्हें करीब 6 महीने ट्रेनिंग दी गई, इसके बाद वे भारत के कोलकाता शहर में आकर अध्यापन कार्य करने लगीं।

संत मदर टेरेसा के महत्त्वपूर्ण कार्य

संत मदर टेरेसा वर्ष 1929 में अपने इंस्टीट्यूट की बाकी नन के साथ मिशनरी के काम से भारत के दार्जिलिंग शहर आईं। यहां उन्हें मिशनरी स्कूल में पढ़ाने के लिए भेजा गया था। मई 1931 में उन्होंने नन के रूप में प्रतिज्ञा ली। इसके बाद उन्हें भारत के कलकत्ता शहर के ‘लोरेटो कॉन्वेंट आ गईं’। यहां उन्हें गरीब बंगाली लड़कियों को शिक्षा देने के लिए कहा गया। डबलिन की सिस्टर लोरेटो द्वारा सैंट मैरी स्कूल की स्थापना की गई। जहां गरीब बच्चे पढ़ते थे। मदर टेरेसा को बंगाली व हिंदी दोनों भाषाओ का बहुत अच्छा ज्ञान था।

कलकत्ता में उन्होंने वहां की गरीबी, लोगों में फैलती बीमारी, लाचारी व अज्ञानता को करीब से देखा। ये सब बातें उनके मन में घर करने लगी और वे कुछ ऐसा करना चाहती थीं,जिससे वहां के लोगों की परेशानियां दूर हो सके। 1937 में उन्हें मदर की उपाधि से सम्मानित किया गया और 1944 में वे सैंट मैरी स्कूल की प्रधानाचार्य भी बन गईं। वह एक अनुशासित व योग्य शिक्षिका थीं और विद्यार्थी उनसे बहुत स्नेह करते थे। सन 1944 में वह हेड मिस्ट्रेस बन गईं। उनका मन शिक्षण में पूरी तरह रम गया था पर उनके आस-पास फैली गरीबी, दरिद्रता और लाचारी उनके मन को बहुत अशांत करती रहती थी।

इसी गरीबी को देखते हुए मदर टेरेसा ने “मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की शुरुआत 13 लोगों के साथ हुई की थी। 1946 में उन्होंने गरीबों, असहायों, बीमारों और लाचारों की मदद करने का मन बना लिया। इसके बाद मदर टेरेसा ने पटना के होली फैमिली हॉस्पिटल से आवश्यक नर्सिंग ट्रेनिंग पूरी की और 1948 में वापस कोलकाता आ गईं और वहां से पहली बार तारातला गई, जहां वह गरीब बुजुर्गो की देखभाल करने वाली संस्था के साथ रहने लगीं।

धीरे धीरे उन्होंने अपने कार्य से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। इन लोगों में देश के उच्च अधिकारी और भारत के प्रधानमंत्री भी शामिल थे। जिन्होंने उनके कार्यों की सराहना की। 7 अक्टूबर 1950 को उन्हें वैटिकन सिटी से ‘मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी’ की स्थापना की अनुमति मिली। इस संस्था का उद्देश्य भूखों, निर्वस्त्र, बेघर, दिव्यांगों, चर्म रोग से ग्रसित और ऐसे लोगों की सहायता करना था जिनके लिए समाज में कोई जगह नहीं थी।

मदर टेरेसा ने ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ के नाम से 2 आश्रम भी खोले। जब वह भारत आईं तो उन्होंने यहां बेसहारा और विकलांग बच्चों और सड़क के किनारे पड़े असहाय रोगियों की दयनीय स्थिति को अपनी आंखों से देखा। इसके बाद उन्होंने जनसेवा का जो व्रत लिया, उसका पालन लगातार करती रहीं और उच्च आदर्श को धारण किया।

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मदर टेरेसा के अनमोल वचन

  • यदि हमारे बीच शांति की कमी है तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित हैं।”
  • मैं चाहती हूँ कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें। क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हैं?”
  • यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो कम से कम एक को ही करवाएं।”
  • यदि आप प्रेम संदेश सुनना चाहते हैं तो पहले उसे खुद भेजें। जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।”
  • अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है। 
  • अपने क़रीबी लोगों की देखभाल कर आप प्रेम की अनुभूति कर सकते हैं।
  • अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धि के बीच का पुल है।
  • सादगी से जियें ताकि दूसरे भी जी सकें। 
  • प्रत्येक वस्तु जो नहीं दी गयी है, वो खोने के सामान है। 
  • हम सभी महान कार्य नहीं कर सकते लेकिन हम कार्यों को प्रेम से कर सकते हैं।

मदर टेरेसा द्वारा प्राप्त सम्मान

अपने लोकमंगलकारी कार्यों के द्वारा मदर टेरेसा ने अनेक सम्मान प्राप्त किए। 

  • 1962 में भारत सरकार से पद्मश्री
  • 1980 में भारत रत्न (देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान)
  • 1985 में अमेरिका का मेडल आफ़ फ्रीडम 
  • 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार (मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों के लिए) 
  • मदर तेरस ने नोबेल पुरस्कार की 192000 डॉलर की धन-राशि को गरीबों के लिए एक फंड के तौर पर इस्तेमाल करने का निर्णय लिया।
  • 2003 में पॉप जॉन पोल ने मदर टेरेसा को धन्य कहा, उन्हें ब्लेस्ड टेरेसा ऑफ़ कलकत्ता कहकर सम्मानित किया गया था।

मदर टेरेसा की मृत्यु

मदर टेरेसा का वर्ष 1983 में 73 वर्ष की आयु में  पहली बार दिल का दौरा पड़ा। उस समय मदर टेरेसा रोम में पॉप जॉन पॉल द्वितीय से मिलने के लिए गई थीं। दूसरा दिल का दौरा उन्हें 1989 में आया और उन्हें पेसमेकर लगाया गया। 1991 में मैक्सिको में न्यूमोनिया के बाद उनके ह्रदय की परेशानी और बढ़ गयी। इसके बाद उनकी सेहत लगातार गिरती रही। 

5 सितंबर 1997 को उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मौत के समय तक ‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ में 4000 सिस्टर और 300 अन्य सहयोगी संस्थाएं काम कर रही थीं जो विश्व के 123 देशों में समाज सेवा में कार्यरत थीं।

संत मदर टेरेसा के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

  • मदर टेरेसा कहा करती थीं कि 12 साल की उम्र से ही उन्हें रोमन कैथोलिक नन बनने का आकर्षण महसूस होने लगा था। एक बच्ची के रूप में भी, उन्हें मिशनरियों की कहानियाँ पसंद थीं।
  • उनका असली नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू था। हालाँकि, आयरलैंड में इंस्टीट्यूट ऑफ द ब्लेस्ड वर्जिन मैरी में समय बिताने के बाद उन्होंने मदर टेरेसा नाम चुना।
  • मदर टेरेसा अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली, अल्बानियाई और सर्बियाई समेत पांच भाषाएं जानती थीं। यही कारण है कि वह दुनिया के विभिन्न हिस्सों के कई लोगों के साथ संवाद करने में सक्षम थी।
  • मदर टेरेसा को दान और गरीबों के प्रति उनकी मानवीय सेवाओं के लिए 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। हालांकि, उन्होंने पूरा पैसा कोलकाता के गरीबों और दान में दान कर दिया।
  • धर्मार्थ कार्य शुरू करने से पहले वह कोलकाता के लोरेटो-कॉन्वेंट स्कूल में हेडमिस्ट्रेस थीं, जहां उन्होंने लगभग 20 वर्षों तक एक शिक्षिका के रूप में काम किया और स्कूल छोड़ दिया क्योंकि वह स्कूल के आसपास की गरीबी के बारे में अधिक चिंतित हो गईं।
  • मदर टेरेसा ने अपना अधिकांश समय भारत में गरीबों और अस्वस्थ लोगों के कल्याण के लिए बिताया।
  • कोलकाता में स्ट्रीट स्कूल और अनाथालय भी शुरू किए।
  • मदर टेरेसा ने 1950 में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के नाम से अपनी संस्था शुरू की। संगठन आज भी गरीबों और बीमारों की देखभाल करते हैं। साथ ही, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में संगठन की कई शाखाएँ हैं।
  • मदर टेरेसा ने वेटिकन और संयुक्त राष्ट्र में भाषण दिया जो एक ऐसा अवसर है जो केवल कुछ चुनिंदा प्रभावशाली लोगों को ही मिलता है।
  • मदर टेरेसा का भारत में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, जिसे सम्मान स्वरूप सरकार द्वारा केवल कुछ महत्वपूर्ण लोगों को ही दिया जाता है।
  • 2015 में उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च के पोप फ्रांसिस द्वारा संत बनाया गया था। इसे कैनोनेज़ेशन के रूप में भी जाना जाता है और अब उन्हें कैथोलिक चर्च में कलकत्ता की सेंट टेरेसा के रूप में जाना जाता है।
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Mother Teresa Biography in Hindi – FAQ’s

  1. मदर टेरेसा का पूरा नाम क्या है ?

    मदर टेरेसा का पूरा नाम अगनेस गोंझा बोयाजिजू हैं।

  2. मदर टेरेसा कौन थी ?

    मदर टेरेसा कैथोलिक नन और समाज सेविका थी।

  3. मदर टेरेसा का जन्म कब और कहां हुआ था?

    मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को अल्बानिया के अच्छे आर्थिक दृष्टि से मजबूत परिवार में हुआ था।

  4. मदर टेरेसा भारत में कब आई थी?

    मदर टेरेसा 6 जनवरी, 1929 में भारत आई थी‌।

  5. मदर टेरेसा को कौन सा प्रसिद्ध पुरस्कार मिला?

    मदर टेरेसा को पद्मा श्री अवार्ड मिला था।

  6. मदर टेरेसा को क्यों नोबेल पुरस्कार मिला था?

    मदर टेरेसा को उनके कामों के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था।

  7. मदर टेरेसा की मौत का कारण क्या था?

    मदर टेरेसा की मौत दिल के दौरे के कारण हुई थी।

  8. मदर टेरेसा की मृत्यु कब और कहां हुई ?

    मदर टेरेसा की मृत्यु 5 सितंबर 1997, कोलकाता में हुई थी।

  9. मदर टेरेसा के पूर्वज कहां से आए थे?

    मदर टेरेसा के पूर्वज अल्बानियाई वंश के थे।



निष्कर्ष

दोस्तों इस आर्टिकल Mother Teresa biography in hindi में मदर टेरेसा के जीवन के बारे में जानकार आपको अच्छा लगा होगा और उनके कार्यों ने आपको जरूर प्रभावित किया होगा। अगर आपको मदर टेरेसा की कहानी अच्छी लगी हो, तो ऐसे महान व्यक्तित्व के बारे में पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहे।

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