भारत की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जीवन परिचय | Kalpana Chawla Biography in Hindi 2024

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Kalpana Chawla Biography in Hindi:  अंतरिक्ष की बेटी के नाम से मशहूर कल्पना चावला को कौन नहीं जानता है। कम उम्र में ही उन्होंने अंतरिक्ष जगत में भारत का नाम कर दिया। हर भारतीय के दिल में कल्पना चावला के लिए अलग जगह है खासकर हर वह महिला जो अंतरिक्ष में जाने का सपना देखती हैं उनके लिए कल्पना चावला आदर्श हैं। कल्पना चावला ने एक बार नहीं बल्कि दो बार अंतरिक्ष का सफर किया था। 

कल्पना चावला पहली ऐसी भारतीय महिला थी, जो अंतरिक्ष में गई थी। आज हम इस लेख के माध्यम से आपको “Kalpana Chawla Biography in Hindi” के द्वारा कल्पना चावला की जीवनी के बारे में बताएंगे। अगर आप अंतरिक्ष के विषय में रुचि रखते हैं, तो यकीनन कल्पना चावला की कहानी आपको प्रेरणा से भर देगी, इसीलिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

कल्पना चावला का जन्म और शिक्षा (Kalpana Chawla Education)

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में हरियाणा के करनाल जिले में हुआ था| बचपन से ही मेधावी और आत्मविश्वासी रही कल्पना चावला अपने 4 भाई बहनों में सबसे छोटी थीं| उन्होंने अपनी पढ़ाई टैगोर बाल निकेतन स्कूल से की| वर्ष 1976 में कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में अपनी ग्रेजुएशन की डिग्री पूरी की।

इस तरह उस समय एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने वाली वो अकेली लड़की बनीं थीं। वर्ष 1982 में वो अमेरिका चली गईं. वहां जाकर उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास से एयरोनॉटिकल स्पेस इंजीनियरिंग में PG की डिग्री पूरी की. अपनी PG डिग्री के दौरान ही उनकी मुलाकात जीन पियरे हैरिसन से हुई. साल 1983 में कल्पना ने जीन से शादी कर ली थी।

Kalpana Chawla Biography in Hindi
नामकल्पना चावला
जन्म1 जुलाई 1961
मृत्यु1 फरवरी 2003
जन्म स्थानकरनाल
पेशाइंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट
लम्बाई5’7”
बालों का रंगकाला
आँखों का रंगकाला
पिता का नामबनारसी लाल चावला
माता का नामसंज्योथी चावला
पति का नामजीन पिएरे हैरिसन
प्राथमिक शिक्षाकरनाल से
बीएससीपंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज
एम.एसटेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
पीएचडीएयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से की
पहली अन्तरिक्ष की यात्रा1996 में STS-87
दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा2003 में STS-107 फ्लाइट
मृत्यु का कारणस्पेस शटल का टूटना
अवार्ड्सकांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और  नासा विशिष्ट सेवा पदक

कल्पना चावला का अंतरिक्ष सफर

वर्ष 1988 में यूनिवर्सिटी ऑफ कॉलोराडो बोल्डर से एयरो स्पेस इंजीनियरिंग में Phd की. उसी साल उन्होंने नासा के साथ काम करना शुरू किया. वर्ष 1991 में उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिल गई। फिर दिसंबर 1994 में उन्हें अंतरिक्ष यात्री के 15वें समूह में शामिल कर लिया गया।

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कल्पना चावला का हुनर और काबिलियत देखते हुए नासा ने 1996 में ही अपने पहले स्पेस मिशन के लिए उन्हें विशेषज्ञ और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में नियुक्त कर लिया। फिर 19 नवंबर 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल ने अमेरिका की कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरी| 

इसमें कल्पना चावला सहित 6 क्रू मेंबर्स सवार थे| इस मिशन को STS-87 नाम दिया गया| इस मिशन के दौरान उन्होंने स्पेस में 15 दिन और 16 घंटे बिताए| 5 दिसंबर 1997 को यह स्पेस शटल धरती पर सफलतापूर्वक वापस आ गया।

दूसरे मिशन के दौरान गई जान

कल्पना अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बनी। पिछले मिशन की सफलता के बाद NASA ने कल्पना को दूसरे स्पेस मिशन के लिए सलेक्ट कर लिया| इस मिशन को STS-107 नाम दिया गया लेकिन कोलंबिया स्पेस शटल में बार-बार आ रही खराबियों को देखते हुए यह मिशन लगातार 18 बार पोस्टपोन  हुआ।  

2 साल तक स्पेस शटल की तमाम खामियों को ठीक करने के बाद फाइनली 16 जनवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अपनी 28वीं और आखिरी उड़ान भरी| इसमें कल्पना चावला समेत 7 अंतरिक्ष यात्री सवार थे| अपने मिशन के दौरान पूरे 15 दिन, 22 घंटे और 20 मिनट रहने के बाद 1 फरवरी 2003 को जब यह शटल धरती के वायुमंडल की तरफ बढ़ रहा था कि तभी स्पेस शटल सवार अंतरिक्ष यात्रियों को एक जोरदार झटका लगा। सारे मेंबर्स को सांस लेने में दिक्कत होने लगी।

इससे पहले कि वे कुछ समझ पाते वे बेहोश हो गये| बेहोश होने के बाद उनके शरीर का तापमान बढ़ गया जिससे शरीर में मौजूद खून उबलने लगा और शटल में ब्लास्ट होने से पहले ही उनकी दर्दनाक मौत हो गई जिसके बाद यह धरती पर पहुंचने से ही ब्लास्ट हो गया| इस घटना के कारणों की जांच के लिए नासा ने अंतरिक्ष शटल उड़ानों को अगले 2 साल से अधिक समय के लिए निलंबित कर दिया।

घटना का कारण

1 फरवरी 2003 की सुबह  अंतरिक्ष यान कोलंबिया को वापस पृथ्वी पर कैनेडी स्पेस सेंटर पर उतरना था लेकिन लॉन्च के समय, ताप को नियंत्रित करने वाले इन्सुलेशन का एक अटैची के आकार का टुकड़ा टूट गया था और शटल की थर्मल संरक्षण प्रणाली को नुकसान पहुंचा था, जो कि शटल को गर्म होने से बचाती है। 

जैसे ही शटल वायुमंडल से गुज़री, इसमें गर्म हवा भर गयी जिससे यह अत्यधिक गर्म हो गया, शटल गोल-गोल लुड़कने लगा और अंततः कई टुकड़ों में टूट गया| जमीन पर गिरने से पहले शटल, टेक्सास और लुइसियाना पर टूट गया था| यह सब एक मिनट से कम समय में हो गया और अन्तरिक्ष यान में सवार सभी अन्तरिक्ष यात्रियों की मौत हो गयी थी| यदि यह हादसा 16 मिनट और टल जाता तो सभी यात्री वापस सुरक्षित उतर जाते।

मरने वाले यात्रियों के नाम

कल्पना चावला, रिक हसबैंड, विलियम सी. मैककूल, डेविड एम. ब्राउन, , माइकल पी. एंडरसन, लॉरेल क्लार्क, इलन रेमन

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कल्पना की जीवन यात्रा

  • कल्पना चावला ने 1982 में चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
  • एरोनॉटिक इंजीनियरिंग में बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद कल्पना चावला अमेरिका चली गईं और 1982 में टेक्सास यूनिवर्सिटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीजी कोर्स के लिए एडमिशन लिया। 1984 में उन्होंने यह कोर्स भी पूरा कर लिया।
  • कल्पना चावला ने 1986 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दूसरा पीजी कोर्स भी किया और उसके बाद कोलराडो यूनिवर्सिटी से 1988 में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग सब्जेक्ट के साथ ही पीएचडी भी पूरा कर लिया।
  • कल्पना चावला ने 1988 में नासा अमेस रिसर्च सेंटर (NASA Ames Research Centre) में काम करना शुरू किया और वर्टिकल / शॉर्ट टेकऑफ और लैंडिंग कॉन्सेप्ट पर कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनामिक्स (CFD) रिसर्च किया।
  • कल्पना चावला एक एस्ट्रोनॉट होने के साथ ही बहुत ही क्रिएटिव भी थीं उन्हें कविता, नृत्य, साइकिल चलाना और दौड़ना भी पसंद था।
  • वह पहली भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और भारत में जन्मी पहली महिला थीं जिन्होंने अंतरिक्ष की यात्रा की।
  • वर्ष 1991 में कल्पना चावला ने अमेरिका की नागरिकता हासिल कर ली थी।
  • उन्होंने 1995 में नासा एस्ट्रोनॉट कोर्प ज्वाइन किया। उन्हें 1996 में पहली अंतरिक्ष उड़ान के लिए चुना गया।
  • कल्पना चावला ने एक मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइमरी रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में पहली बार 1997 में आउटर स्पेश के लिए उड़ान भरी थी।
  • उन्होंने पृथ्वी की 252 कक्षाओं (orbits) में 10.4 मिलियन मील से अधिक की यात्रा की। hउन्होंने कुल 372 घंटे अंतरिक्ष में बिताये थे।
  • वर्ष 2000 में कल्पना चावला को एसटीएस-107 के चालक दल (crew) के हिस्से के रूप में अपनी दूसरी उड़ान के लिए चुना गया था। मिशन में बार-बार देरी हुई और वह 16 जनवरी, 2003 को अंतरिक्ष में लौट आई।
  • उसी वर्ष 1 फरवरी को, अंतरिक्ष शटल को लंबिया में चालक दल के सभी छह अन्य सदस्यों के साथ, दुर्भाग्यपूर्ण एसटीएस-107 मिशन पर कल्पना चावला की मृत्यु हो गई।
  • अपने 28वें मिशन, एसटीएस-107 को समाप्त करने के कुछ समय पहले, अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश करने के दौरान टेक्सास के ऊपर बिखर गया, जिससे चालक दल के सभी सात सदस्यों की मौत हो गई।

इस तरह एक बेहद साहसी और ईमानदार महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की मृत्यु हो गई। हालंकि, इस हादसे के 10 साल बाद 17 जनवरी 2013 को कोलंबिया के प्रोग्राम मैनेजर ने वेन हाले ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया| 

उनके मुताबिक, कोलंबिया स्पेस शटल के उड़ान भरते ही पता चल गया था कि ये सुरक्षित जमीन पर नहीं उतरेगा, तय हो गया था कि सातों अंतरिक्ष यात्री मौत के मुंह में ही समाएंगे फिर भी उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई| बात हैरान करने वाली है, लेकिन यही सच है।

कल्पना चावला को मिले अवार्ड की लिस्ट (Kalpana Chawla Awards List)

अपने बेहतरीन कार्यों के लिए कल्पना चावला को देश विदेश के कई प्रतिष्ठित पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया।

  • कल्पना चावला को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा स्वर्ण पदक “स्पेस मेडल” से नवाजा गया था। इससे उनके अंतरिक्ष अनुसंधान में योगदान को पहचाना गया था।
  •  कल्पना चावला को भारत सरकार द्वारा 1991 में उपाधि विभूषण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके विज्ञान और अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान को मान्यता देता है।
  •  2004 में पाकिस्तान सरकार द्वारा कल्पना चावला को “सितारा-ए-खिदमत” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके यात्रियों के साथ परमाणु शक्ति विकास में योगदान के लिए था।
  • कल्पना चावला को 1982 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान भारतीय नागरिकों के योगदान और उनके उत्कृष्ट कार्यों को पहचानता है।
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आज भले ही कल्पना चावला हमारे बीच ना हों, लेकिन उन्होंने पूरे विश्व को यह सन्देश दिया है कि भारत की प्रतिभा दुनिया के हर कौने में मौजूद है। भारत ही नहीं  अमेरिका ने भी कल्पना चावला के सम्मान में कई पुरस्कारों की घोषणा करके उनके सम्मान को बढ़ाया है।

कल्पना ने 2 बार अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था, इससे पहले राकेश शर्मा वो भारतीय थे जिन्होंने अन्तरिक्ष का भ्रमण किया था और चाँद पर कदम रखा था। कल्पना का सफर भारतीयों के लिए किसी सपने से कम नहीं है,और उन्हें नासा में मिलने वाली जिम्मेदारियां एवं सफलता भारत का सर और ऊँचा कर देती हैं, इसीलिए कल्पना भारत में एक आदर्श,सफल और प्रेरणास्पद महिला के रूप में देखी जाती हैं। 

कल्पना ने अपनी पहली उड़ान के बाद कहा था “रात का जब समय होता हैं, तब मैं फ्लाइट डेक की लाइट कम कर देती हूँ और बाहर गैलेक्सी और तारों को देखती हूँ, तब ऐसा महसूस होता हैं कि आप धरती से या धरती के कोई विशेष टुकड़े से नहीं आते हो, बल्कि आप इस सूर्यमंडल का ही हिस्सा हो”। कल्पना भारत के पहले पायलट JRD टाटा से प्रभावित थी, इसलिए उनकी उड़ान में रूचि जे.आर.डी टाटा की प्रेरणा से ही विकसित हुयी थी. भारत ने कल्पना के सम्मान में उनके नाम पर अपने पहले मौसम सेटेलाईट का नाम रखा है।

Kalpana Chawla Biography in Hindi – FAQ’s

कल्पना चावला कौन थी ?

कल्पना चावला भारतीय और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थी।

कल्पना चावला का जन्म कब हुआ था ?

कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में हुआ था ?

कल्पना चावला क्यों प्रसिद्ध है ?

कल्पना चावला अंतरिक्ष पर जाने वाली पहली भारतीय महिला होने के मशहूर है।

कल्पना चावला कितनी बार अंतरिक्ष पर गई थी ?

कल्पना चावला दो बार अंतरिक्ष पर गई थी।

कल्पना चावला कैसे मरी और क्यों मरी?

कल्पना चावला अंतरिक्ष यान के विस्फोट के कारण मरी थी। क्योंकि उनका अंतरिक्ष यान टूट गया था और जब वो पृथ्वी पर वापस आ रहा था तो वायुमंडल का तापमान बढ़ने के कारण अंतरिक्ष यान के सभी लोगों की जान चली गई।



निष्कर्ष

दोस्तों Kalpana Chawla Biography in Hindi इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको कल्पना के जीवन के बारे में काफी कुछ जानने और सीखने को मिला होगा। कल्पना चावला की कहानी आपको कैसी लगी कमेंट करके बताएं। अगर यह कहानी अच्छी लगी हो तो ऐसी और कहानियां पढ़ने के लिए हमारे ब्लॉग से जुड़े रहे। 

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